Sunday, June 16, 2019

youtube को youtube क्यों कहते हैं ?


YouTube (जो आज Google के स्वामित्व में है ) ने एक लंबा सफर तय किया है क्योंकि इस लोकप्रिय विडियो शेयरिंग साइट का विचार पहली बार 2005 में, तीन लोगों को  सैन फ्रांसिस्को की एक डिनर पार्टी में आया था।

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इसके तीन संस्थापकों, चाड हर्ले, स्टीव चेन, और जावेद करीम (ये सब उस समय पेपल के सभी शुरुआती कर्मचारी थे ) ने विडियो सर्च , देखने और शेयर करने की कठिनाई पर विचार किया । हर्ले ने एक प्रारंभिक साक्षात्कार में कहा, "लोग अपने सेल फोन पर वीडियो क्लिप एकत्र कर रहे थे ... लेकिन शेयर करने का कोई आसान तरीका नहीं था।"

YouTube ने एक प्रौद्योगिकी स्टार्टअप के रूप में शुरू किया ! इसकी शुरुआत सिलिकॉन वैली की सबसे लाभदायक पूंजी निवेश फर्मों में से एक Sequoia कैपिटल के द्वारा किए गए 11.5 मिलियन डॉलर के निवेश के कारण हुई।
जैसा कि अपेक्षित था, साइट अपने पहले वर्ष के भीतर तेजी से बढ़ी।

YouTube द्वारा अपना सार्वजनिक बीटा परीक्षण शुरू करने के कुछ ही महीनों बाद, साइट को हर दिन 100 मिलियन से अधिक बार और 65,000 नए वीडियो प्राप्त हुए। आज? आज हर एक मिनट में 100 घंटे का वीडियो YouTube पर अपलोड किया जाता है!

तो इस प्यारी वेबसाइट को इसका नाम कहां से मिला? आइए जानें कि YouTube को YouTube क्यों कहा जाता है और YouTube ने कैसे "वायरल" को एक नया अर्थ दिया है।

इसे YouTube क्यों कहा जाता है?
"YouTube" नाम वास्तव में बहुत सीधा है। “YOU" यह दर्शाता है कि कंटेंट उपयोगकर्ता द्वारा बनाई गई है, न कि साइट के द्वारा और "ट्यूब" टेलीविजन के लिए एक पुराने मूल शब्द की ओर इशारा है। पहले जब टीवी नए थे,
तब उसमें  कैथोड रे "ट्यूब" का उपयोग करते थे।
YouTube के इतिहास की शुरुआत में, हालांकि, इससे कुछ समस्याएं हुईं। 2006 में, यूनिवर्सल ट्यूब एंड रोलफॉर्म इक्विपमेंट नाम की एक और कंपनी, जिसकी वेबसाइट का नाम www.utube.com था, ने YouTube के खिलाफ मुकदमा दायर किया। नतीजा? तब से कंपनी ने अपना नाम बदलकर www.utubeonline.com कर लिया है। इस शुरुआती परेशानी के बाद से, YouTube नाम पॉपुलर और मजबूत हो गया है;
यह साइट अब 75 देशों में है और 61 भाषाओं में उपलब्ध है और इसमें प्रत्येक मिनट में सैकड़ों घंटे के वीडियो अपलोड किए जाते हैं!

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धन्यवाद !

How youtube is given its name ?

YouTube (owned by Google) has come a long way since the idea for the popular video-sharing site was first sparked at a San Francisco dinner party in 2005. 

हिंदी अनुवाद के लिए क्लिक करें 

The concept was comically inspired by the viral Super Bowl “Janet Jackson wardrobe malfunction” when the three founders, Chad HurleySteve Chen, and Jawed Karim(all early employees of PayPal at the time) discussed the difficulty of finding, watching, and sharing video clips of the mishap online. “Video, we felt, really wasn’t being addressed on the Internet” said Hurley in an early interview, “People were collecting video clips on their cell phones…but there was no easy way to share.”
YouTube began humbly as a technology startup, situated just above a pizzeria and Japanese restaurant in San Mateo, California. Its start was mostly thanks to an $11.5 million investment by Sequoia Capital, one of Silicon Valley’s most profitable capital investment firms. 
As expected, the site grew rapidly within its first year. Just a few months after YouTube began its public beta testing, the site was receiving more than 100 million views and 65,000 new videos each day. Today? Today 100 hours of video are uploaded to YouTube every single minute!
So where did this beloved website get its name? Let’s find out why YouTube is called YouTube and how YouTube has given “viral” a whole new meaning.
Why is it called YouTube?
The name “YouTube” is actually pretty straightforward. The “You” represents that the content is user generated, created by individual users and not the site itself and “Tube” is a nod toward an older original term for television. Back when TVs were new, pre-LCD display monitors used cathode ray “tubes” to deliver images. Early on in YouTube’s history, however, this caused a few problems. In 2006, another company named Universal Tube & Rollform Equipment, whose website was similarly named www.utube.com, filed a lawsuit against YouTube. The outcome? The company has since changed its name to www.utubeonline.com. Since this early hiccup, the name YouTube has grown proud and strong; the site is now localized in 75 countries and available in 61 languages and hundreds of hours of video are uploaded each minute! 


Saturday, June 15, 2019

क्या हम नौकरी करें या बिज़नेस करें?



इसमें कोई संदेह नहीं कि अगर आपको ज़िन्दगी में ज्यादा पैसा और सफलता पानी है , तो वह बिज़नस में ही संभव है !
लोगों का कहना होता है कि नौकरी, बिज़नेस से ज्यादा सेफ है ! परन्तु ऐसा पूरी तरह सच भी नहीं है ! नौकरी में भी नौकरी छूटने का भय हमेशा होता है ! आप किसी भी बड़े सफल व्यक्ति को सुनेंगे या किताबें पढेंगे तो वो आपको बिज़नस की ओर जाने को प्रेरित करेंगे ! जो सही भी है !

परन्तु बिज़नस में सिर्फ ये सोचकर न उतर जाएँ की यहाँ तो हम ही बॉस हैं , कोई हमें बताने वाला नहीं, यहाँ काम कम करना पड़ेगा ! बल्कि इससे उल्टा होगा ! जिम्मेदारियां बढेंगी साथ ही पैसे की ज़रुरत भी पड़ेगी !
बिज़नस को भी आपको इस दिशा में ले जाने का प्रयत्न करना चाहिए जहाँ आपका इन्वोल्वेमेंट न होते हुए भी पैसा आता रहे (जिसे passive income कहते हैं ! अगर पूरे समय आपको अपने आपको बिजी रखकर पैसा कमाना पड़े तो नौकरी और बिज़नस में कोई अंतर नहीं रह जाएगा ! (इससे तो नौकरी भली, जहाँ आपके पैसे का रिस्क नहीं होता)
साथ ही ध्यान रखें की कोई कुछ भो कहे बिज़नस चलाने और बढाने के लिए धन की आवश्यकता भी होती है !
इन सारी चीज़ों को DAN-LOK ने अपनी किताब FU-MONEY में बहुत अच्छे से समझाया है !

उसके लिए उन्होंने एक "वेल्थ ट्रायंगल (त्रिभुज)" से समझाया है , की कैसे आप तेज़ी से अपने लक्ष्य के प्रति आगे बढ़ सकते हैं !
बिज़नस शुरू करने से पहले आपके पास एक high income skill होनी चाहिए, अर्थात वो skill जिसके द्वारा आप अच्छा धन अर्जित कर सकें, और उसके बाद ही बिज़नस में उतरें, ताकि आपको बिज़नस के लिए और अपने जीवन यापन के लिए शुरू में बिज़नस पर निर्भर न होना पड़े !
फिर साथ में एक ऐसे scalable बिज़नस का चुनाव करें जिसे कम लागत में शुरू किया जा सके, परन्तु जिसके आगे बढ़ने की संभावनाएं प्रबल हों ! अपने बिज़नस का पैसा उसी में री-इन्वेस्ट करते रहें ताकि वो फैल सके !
एक अच्छा आईडिया ही काफी नहीं है, उस पर समुचित रिसर्च कर, नियत समय में लागू भी करें अन्यथा वो आपके दिमाग में ही रह जाएगा !
इस पर मैंने एक छोटा सा विडियो भी बनाया है, जिसमें ये डिटेल्स देने की कोशिश की है ! 
कमेंट सेक्शन में ज़रूर बताएं आपका इसमें क्या विचार है !

कुछ लोग आसानी से सफलता कैसे पा लेते हैं ?



इसके दो पहलू  हैं !

हम जब भी सफल व्यक्ति को देखते हैं, तो हमें सिर्फ उनकी सफलता ही नज़र आती है । 
उसके पीछे जो उसने हज़ारों पल मेहनत के जिये, या वो कठिन निर्णय लिए, रिस्क लीं, वो हमारे सामने नहीं होता तो हमें ये लगने लगता है कि देखो, कल तक तो साईकल पे घूमता था आज इस पर bmw भी है । 
( There is no overnight success)

साथ में ये भी कहना चाहूंगा कि कई बार एक जैसी मेहनत करने वालों के पास भी सफलता एक जैसी नहीं मिलती । 
वहाँ मैं समझता हूँ कि जो एक सफल व्यक्ति के पास होता है, वो होता है समुचित मार्गदर्शन। इसलये ही कहते हैं कि हमारी ज़िंदगी में एक सही मार्गदर्शक (mentor) का होना बहुत ज़रूरी है । 

तभी हम सही समय पर सही जगह हो सकेंगे । (Being at the right place, at the right time) ! और यही सफलता का सबसे बड़ा मंत्र है । 

सही समय पर, सही जगह होना ।

Thursday, June 13, 2019

भारत में पैसा कमाने का सबसे आम तरीका

अगर पैसा कमाने का सबसे आम तरीका पूछें तो भारत में ये है, 12वीं या ग्रेजुएशन तक पढ़ाई करो, फिर कोई भी नौकरी पाओ, उसमें खुद को रगड़ो, पैसा कमाओ और फिर बूढ़े होक रिटायर हो जाओ और पाने बच्चों पर आश्रित रहो ।

पर सच कहूँ तो इसमें पैसा कमाया नहीं जाता, बस ज़िन्दगी गुज़ारने लायक ही बच पाता है ।
अगर पैसा सच में कमाना है, तो पैसिव इनकम सबसे कारगर तरीका है । और लोगों में भी इसकी अवेयरनेस बढ़ रही है ।

पैसिव इनकम मतलब वो कमाई जिसके लिए आपको अपने समय को बेचना नहीं पड़ता। मतलब जिस समय आप स्वयं न भी कार्य कर रहे हों, तो भी आपकी कमाई होती रहेगी ।
ये कई किताबों, जैसे रिच डैड-पुअर डैड, 4 hour workweek, FU money, इत्यादि में देखने और सीखने को मिलता है।
बुक्स से रॉयल्टी, यूट्यूब, टिक टॉक, रोपोसो वीडियोस, मकान किराये से देना आदि पैसिव इनकम के कुछ ज़रिये हैं ।
पैसिव इनकम पर मैंने कुछ वीडियोस भी बनाये हैं, उन्हें मेरे यूट्यूब चैनल पर विजिट कर, देख सकते हैं ।
 

Mujhe Modiji se Shikayat hai

मुझे मोदीजी के इरादों पर कोई शक नहीं है । वे भारत को एक उन्नत देश बनाने के लिए प्रयत्नशील हैं ।

परंतु उनकी मध्यम वर्ग और खासकर प्राइवेट जॉब एम्प्लाइज के प्रति उदासीनता देखकर दुखी हूँ।
  1. प्राइवेट जॉब करने वाला एम्प्लॉई अपने दिन के सबसे ज़्यादा घंटे जॉब को देता है । अपनी सैलरी का सबसे बड़ा भाग टैक्स के रूप में देता है। परंतु फिर भी उसके जीवन और भविष्य के प्रति सरकार की कोई विशेष रुचि नहीं दिखती । इतने ज़्यादा घंटे कामकर, जीडीपी में अच्छे खासे योगदान के बाद भी अगर भगवान न करे, उसकी जॉब चली जाए, भले ही वो किसी भी कारण से, कंपनी के लॉस में जाने के कारण हो, उसका और उसके परिवार की जवाबदारी लेने को कोई भी योजना नहीं होती । वो फिर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो जाता है ।

और बस ये सोचता रह जाता है, कि सालों साल जो मैंने अपनी खून पसीने की सैलरी का आधे से ज़्यादा हिस्सा टैक्स में दिया, वो मेरे आज किस काम आ रहा है । वो अपने को ठगा हुआ महसूस करता है ।
मेरा मोदी सरकार से निवेदन है कि इस बेचारे मध्यम प्राइवेट वर्ग के बारे में भी सोचे ।
2. दूसरा, टैक्स में इन्वेस्टमेंट दशकों से सिर्फ 1.5 लाख ही है ।

जबकि लोगों की आय (साथ ही महंगाई) कई गुना बढ़ी है । इससे टैक्स देने के बाद लोगों के हाथ में सेविंग्स बहुत कम बचती है । इन्वेस्टमेंट लिमिट (भले ही गवर्नमेंट बांड) में बढ़ाने से, सरकार के पास इन्वेस्टमेंट भी आएगा और लोगों के पास बचत भी हो पाएगी

खुश रहना सरल है, कैसे ? देखें यह वीडियो ।

4 वो तरीके जिसके बाद आप हमेशा खुश रहेंगे । Watch this video... Its Simple to be Happy |  खुश रहना सरल है !