लड़े जा रहा हूँ !
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ज़िन्दगी की भागम भाग में हम कितने ही मूल्यवान पलों को खो देते हैं ! बस एक अनजानी जीत को पाने की होड़ में ! फिर अंत में मिलता क्या है ? इसी उधेड़बुन पर कुछ पंक्तियाँ मैंने लिखी हैं ! पसंद आये तो कमेंट में ज़रूर बताएं ! और विडियो like और दूसरों से शेयर करें !
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लड़े जा रहा हूँ !
दुनिया की इस भीड़ में, अकेला निहत्था, कुछ और अकेले निहत्थे लोगों से; सिर्फ इस डर में, कि कहीं हार ना जाऊँ !
सोचता हूँ कि जीतना किसे चाहता हूँ ? जीत कैसी होती है, पता नही; फिर भी बस लड़े जा रहा हूँ !
कभी लगता है कि क्यों ना रूक जाऊँ ; पर फिर आशंका उठाती है सिर, कि वो ना रुकेंगे ..... डर लगता है कि हार ना जाऊँ; इसलिए बस लड़े जा रहा हूँ ......
इस लड़ाई में खो ना बैठूँ, कुछ मुस्कुराते लम्हे, मेरी बेटी कि किलकारियों से आते हुए, या परिवार के साथ के उन्मुक्त ठहाके ....
पर शायद उनके लिए ही, लड़े जा रहा हूँ ....
इस लड़ाई में लड़ते-लड़ते, बेटी पराई हो गई , बेटे की अपनी एक लड़ाई हो गई ,परिवार कहीं छूट गया, बीवी की दुनिया उसकी तनहाई हो गई .... अकेला तन्हा हूँ मैं एक ख़ालीपन के साथ .... अब इस ख़ालीपन से लड़ने के लिए ही फिर, लड़े जा रहा हूँ ............ !
--Swapnil Tiwari
Good one jiju.............Nice thoughts n bRave decision.God bless u.n may god fulfill all ur dreams...............
ReplyDeleteThanks Dear ... :)
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