ये पंक्तियाँ कुछ उन लोगों के लिए जो सामने वाले की नम्रता को उसकी कमज़ोरी समझते हैं और अपना बड़प्पन दिखाने के लिए तू-तड़ाक और असम्मानजनक शब्दों एवं हावभाव से हावी होने की कोशिश करते हैं ।
तो प्रस्तुत है, "आप और तू का फ़र्क़" ...
"आप" ने मुझे "तू" कहकर,
कोई बड़ा काम नहीं किया है ।
फ़र्क़ सिर्फ इतना है कि मुझे माँ की सीख याद है, और आपने भुला दिया है ।
और मैंने, "आप" को "आप" कहा, मतलब यह नहीं कि आप बहुत बड़े हैं,
बस इस "आप" के और "तेरे" बीच, मेरे संस्कार खड़े हैं । नमस्ते ।
-स्वप्निल तिवारी